अब चुनाव कब और कैसे हो सकते हैं,जो आचार संहिता लागू हो चुकी थी, उसका क्या होगा,और सरकार व चुनाव आयोग के सामने अब क्या विकल्प हैं।यह रही नवीनतम और अंतिम रूप से परिष्कृत विस्तृत खबर
गढ देश न्यूज़ अरविन्द जयाडा
🛑 उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर अदालत की तलवार! हाईकोर्ट में कानूनी उलझनें, आचार संहिता भी अधर मेंनैनीताल/देहरादून।उत्तराखंड के पंचायत चुनाव 2025 एक बार फिर कानूनी पेंच में उलझते नजर आ रहे हैं। त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था के तहत प्रस्तावित चुनावों पर रोक लगाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट की नैनीताल खंडपीठ में पांच से अधिक याचिकाएं दाखिल हुई हैं। इन याचिकाओं में आरक्षण रोस्टर, परिसीमन और निर्विरोध चयन जैसे विषयों को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
🔎 क्या है विवाद?याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि—कई पंचायतों में एक ही वर्ग को बार-बार आरक्षण दिया गया है।परिसीमन में जनसंख्या के अनुपात और भौगोलिक संतुलन की अनदेखी की गई है।निर्विरोध चुनाव की घोषणा दबाव और अनियमित प्रक्रिया से की गई है।इसके चलते चुनाव प्रक्रिया की वैधता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
⚖️ हाईकोर्ट में क्या चल रहा है?23 जून को हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष जिन मामलों की सुनवाई हो रही है, उनमें से अधिकांश ने यह मांग रखी है कि:


> ❝ जब तक परिसीमन और आरक्षण की प्रक्रिया को पारदर्शी और संविधान सम्मत नहीं बना दिया जाता, तब तक पंचायत चुनावों पर अस्थायी रोक लगाई जाए। ❞
🏛️ अब तक की स्थिति:राज्य निर्वाचन आयोग ने कुछ जिलों में आचार संहिता लागू कर दी थी लेकिन अब कोर्ट के हस्तक्षेप के कारण चुनाव कार्यक्रम जारी करने की प्रक्रिया स्थगित मानी जा रही है यदि कोर्ट अंतरिम आदेश जारी करता है, तो संपूर्ण प्रक्रिया दोबारा शुरू करनी पड़ सकती है—
📅 पंचायत चुनाव की प्रक्रिया और देरी की गणना:चरण सामान्य अवधि यदि दोबारा हो परिसीमन 1–2 माह पुनः 1–2 माह आरक्षण सूची 15 दिन संशोधन सहित 1 माह आपत्ति निस्तारण 15–30 दिन 1 माह तक अधिसूचनाएं, नामांकन, मतदान 1 माह यथावत कुल अनुमानित समय लगभग 3 महीने अब 5–6 महीने तक बढ़ सकता है
➡️ इसका अर्थ यह है कि यदि कोर्ट का फैसला जुलाई के अंत तक नहीं आता, तो पंचायत चुनाव नवंबर या दिसंबर 2025 तक टल सकते हैं।—📜 आचार संहिता का क्या होगा?चुनाव की औपचारिक अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई थी, केवल प्रारंभिक आचार संहिता लागू की गई थी।यदि कोर्ट स्थगन आदेश पारित करता है, तो चुनाव आयोग को आचार संहिता हटानी पड़ सकती है।प्रशासनिक कार्यों, विकास योजनाओं और तबादलों पर लगी पाबंदियां समीक्षा के बाद हटाई जा सकती हैं।—
📌 अब सरकार और आयोग के सामने विकल्प क्या हैं?1. कोर्ट से शीघ्र फैसला आने की प्रतीक्षा2. यदि रोक लगती है, तो नई आरक्षण सूची व परिसीमन की प्रक्रिया शुरू करना3. चुनाव की नई समय-सारणी बनाना4. आचार संहिता हटाने पर प्रशासनिक शिथिलता का पुनर्गठन—
🔚 निष्कर्षउत्तराखंड के पंचायत चुनावों को लेकर स्थिति अब बेहद संवेदनशील हो गई है। चुनाव टलने की स्थिति में ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति या कार्यवाहक व्यवस्था की भी जरूरत पड़ सकती है।अब पूरा दारोमदार हाईकोर्ट के फैसले और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया पर निर्भर है। यदि पारदर्शी और संतुलित व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की गई, तो चुनाव प्रक्रिया और अधिक अव्यवस्थित हो सकती है।–
-📣 जनता के लिए संदेश:इस बार पंचायत चुनाव केवल मतदान की प्रक्रिया नहीं, बल्कि न्याय, भागीदारी और समानता के सिद्धांतों की भी परीक्षा बन गया है।