उपनल कर्मचारीयों और अतिथि शिक्षकों की नियमितीकरण की मांग तेज ।

अरविन्द जयाडा

उत्तराखंड में उपनल कर्मियों और अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण की मांग तेज, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने की मांगदेहरादून: उत्तराखंड में उपनल कर्मियों और अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण की मांग को लेकर आवाज बुलंद हो रही है।

राज्य सरकार जहां खेल, युवा कल्याण और पीआरडी विभागों के एकीकरण जैसी व्यवस्थाओं में व्यस्त है, वहीं हजारों उपनल कर्मी और अतिथि शिक्षक अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं। अब इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया तेज करने की मांग उठ रही है।

न्याय की मांग –

कब तक अन्याय, कब तक शोषण?राज्य में वर्षों से सेवा दे रहे उपनल कर्मी और अतिथि शिक्षक नियमित नौकरी की उम्मीद में हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इन कर्मियों का कहना है कि सरकार को अपनी ऊर्जा और संसाधनों का सही दिशा में उपयोग करना चाहिए, ताकि वर्षों से सेवाएं दे रहे कर्मियों को स्थायित्व मिल सके।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला –

आरक्षण की अनदेखी का मुद्दामाननीय सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में इस तरह के कर्मियों के नियमितीकरण का रास्ता साफ कर दिया है। ऐसे में उत्तराखंड सरकार को इस फैसले का पालन करते हुए उपनल कर्मियों और अतिथि शिक्षकों को नियमित करने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। इसके अलावा, इस प्रक्रिया में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए निर्धारित आरक्षण को भी ध्यान में रखना जरूरी है। यदि नियमित किए जा रहे कर्मियों में SC-ST का प्रतिनिधित्व तय आरक्षण के अनुपात में नहीं है,

सरकार को करना –

तो सरकार को तुरंत अतिरिक्त पद सृजित कर उनमें इन वर्गों की नियुक्ति सुनिश्चित करनी चाहिए।सरकारी विभागों में 60,000 पद रिक्त, वार्षिक भर्ती कैलेंडर जारी करने की मांगप्रदेश में लगभग 60,000 सरकारी पद रिक्त पड़े हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया धीमी होने के कारण युवा बेरोजगार परेशान हैं। सरकार को चाहिए कि वह तत्काल वार्षिक भर्ती कैलेंडर जारी करे और सभी रिक्त पदों पर पारदर्शी तरीके से भर्ती प्रक्रिया शुरू करे।

क्या बोले कर्मचारी संगठन – इस मांग को लेकर कर्मचारी संगठनों और विभिन्न संघों ने भी सरकार से अपील की है। उनका कहना है कि अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करते हुए उपनल कर्मियों और अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू नहीं करती है, तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।सरकार को जल्द फैसला लेना होगाउत्तराखंड सरकार को इस मुद्दे पर जल्द फैसला लेकर उपनल कर्मियों और अतिथि शिक्षकों को न्याय देना चाहिए। इससे न केवल हजारों कर्मियों को रोजगार की सुरक्षा मिलेगी, बल्कि सरकारी विभागों में रिक्तियों को भरकर प्रशासनिक व्यवस्थाओं को भी सुदृढ़ किया जा सकेगा।

पैनी नजर –

अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है और क्या उत्तराखंड में उपनल कर्मियों और अतिथि शिक्षकों के लिए स्थायी समाधान निकल पाता है या नहीं।

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