उत्तराखंड के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल हाल ही में दो प्रमुख कारणों से सुर्खियों में हैं। पहला, विधानसभा सत्र के दौरान उनकी विवादित टिप्पणी, और दूसरा, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राजस्व जुटाने के लिए गठित मंत्री समूह (जीओएम) में उनकी नियुक्ति।विवादित टिप्पणी और जनाक्रोश:21 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान, मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विपक्षी विधायकों के साथ बहस के दौरान ‘पहाड़ी’ लोगों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। इससे प्रदेशभर में आक्रोश फैल गया, और विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं राजनीतिक दलों ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किए। गैरसैंण में आयोजित जनाक्रोश रैली में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की। लोकप्रिय लोकगीत गायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने भी इस विरोध का समर्थन करते हुए कहा कि जो व्यक्ति पहाड़ और उसकी संस्कृति का सम्मान नहीं करता, उसे सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इस बयान को प्रदेश को बांटने वाला करार दिया और मंत्री से इस्तीफे की मांग की। विधानसभा में इस मुद्दे पर जोरदार हंगामा हुआ, जिससे सदन की कार्यवाही प्रभावित हुई। मंत्री समूह में नियुक्ति:इन विवादों के बीच, वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राजस्व जुटाने के लिए गठित सात सदस्यीय मंत्री समूह (जीओएम) में सदस्य नामित किया गया है। यह समूह जीएसटी परिषद द्वारा प्राकृतिक आपदाओं के दौरान विशेष उपकर लगाने के लिए संवैधानिक और कानूनी पहलुओं की जांच करेगा। इसमें उत्तर प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, केरल और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री भी शामिल हैं। राजनीतिक प्रतिक्रिया:मंत्री अग्रवाल की विवादित टिप्पणी के बाद, प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने उन्हें संयम बरतने का निर्देश दिया है। हालांकि, मंत्री पहले ही अपनी टिप्पणी पर माफी मांग चुके हैं, लेकिन विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस संबंध में पार्टी हाईकमान को अवगत कराया है, जिससे मंत्री की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है। इन घटनाओं ने उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है, जहां एक ओर मंत्री की विवादित टिप्पणी से जनाक्रोश है, वहीं दूसरी ओर उन्हें जीओएम में मिली नई जिम्मेदारी ने सियासी गलियारों में चर्चाओं को जन्म दिया है।
