गांव की रंगमंचीय प्रतिभा से अभिभूत हुए ग्रामीण – रावण की भूमिका में मामचंद ने जीता दर्शकों का दिल
पुरोला/उत्तरकाशी। गांव की धरती न केवल खेती-बाड़ी की पहचान रखती है, बल्कि यहां की माटी में ऐसी छुपी हुई प्रतिभाएं भी मौजूद हैं, जो अगर सही दिशा व मंच मिले तो जिले, राज्य ही नहीं देश स्तर पर भी अपनी पहचान बना सकती हैं।
बीती रात हुए धार्मिक आयोजन में गांव के लोक कलाकारों ने अपनी अद्भुत प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया।विशेष रूप से लंकापति रावण की भूमिका में मामचंद उर्फ ‘मामू भाई’ ने मधुर कंठ और सजीव अभिनय के ज़रिये
ऐसा अभिनय प्रस्तुत किया कि दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से मंच को गूंजा दिया। उनके संवादों में दम था, स्वर में प्रभाव था और हाव-भाव में अभिनय की गहराई।ग्रामीणों ने कहा कि हमारे गांव के युवाओं के कंठ में मां सरस्वती का वास है। अध्यापक आनंन्द ज्याडा ने कहा यदि समय रहते उन्हें सही दिशा और अवसर प्रदान किए जाते, तो ये बाल कलाकार आज समाज में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकते हैं।
गांव के प्रबुद्ध जनों व वरिष्ठ नागरिकों ने सभी से अपील की है कि ऐसे बाल कलाकारों और युवाओं के मनोबल को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दें। गांव की यह सांस्कृतिक विरासत और कला की धारा तभी आगे बढ़ेगी जब हम सब इनके पीछे एक प्रेरक शक्ति बनकर खड़े होंगे।
🎭 युवा ही गांव का भविष्य हैं, आइए हम सभी मिलकर उनकी प्रतिभा को निखारने का संकल्प लें।
वही गांव के युवाओं अध्यापक आनंन्द जयाडा की प्रशंसा करते हुए कहा है कि उन्होंने हमें तरासने का काम किया है। और हमें रामलीला करने के लिए जागरूक किया है हम उनका धन्यवाद ज्ञापित करते हैं। वहीं निवर्तमान उपप्रधान प्रवेश कुमार की डायरेक्टर भुमिका मे दिखे यूवाओ का कहना है कि हमे अपने डायरेक्टर से बहुत कुछ सीखने को मिला उनका भी हम दिल से धन्यवाद करते हैं