-पुरोला विधानसभा 55 वर्षों से आरक्षित, क्यों नहीं हट रही आरक्षण की मुहर?स्थानीय जनता ने उठाए सवाल, कहा – “धनोल्टी और सहसपुर हो सकती हैं सामान्य, तो पुरोला क्यों नहीं?”
गढ़ देश न्यूज़ अरविन्द जयाडा पुरोला
(उत्तरकाशी)।पुरोला विधानसभा सीट विगत 55 वर्षों से अनुसूचित जाति (SC) वर्ग के लिए आरक्षित है। अब यह सवाल क्षेत्र की जनता के बीच प्रमुख मुद्दा बन गया है कि आखिर क्यों इस सीट को आज तक सामान्य श्रेणी में परिवर्तित नहीं किया गया, जबकि धनोल्टी और सहसपुर जैसी विधानसभा सीटें, जो पहले अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं,
उन्हें वर्षों पहले सामान्य घोषित किया जा चुका है।जानकारों के अनुसार, विधानसभा क्षेत्रों का आरक्षण जनगणना और डिलिमिटेशन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तय होता है।
पुरोला क्षेत्र में अनुसूचित जाति की आबादी का प्रतिशत अनुपातिक रूप से अधिक है, इसी कारण इसे हर बार आरक्षित श्रेणी में रखा जाता रहा है। मगर, स्थानीय जनता का कहना है कि आधी सदी से भी अधिक समय तक लगातार आरक्षित रहने से अन्य वर्गों को चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिल पा रहा है।
स्थानीय लोगों की राय ग्राम सभा प्रधानो ने कहा – “हर बार यही तर्क दिया जाता है कि आरक्षण आबादी के हिसाब से है। लेकिन अब आधी सदी से ज्यादा वक्त गुजर चुका है, पुरोला को भी सामान्य घोषित किया जाना चाहिए ताकि हर वर्ग को बराबरी का मौका मिल सके।”ग्रामीणों का कहना है
– “धनोल्टी और सहसपुर को जब सामान्य श्रेणी में शामिल कर दिया गया तो पुरोला को क्यों नहीं?
यदि आने वाली डिलिमिटेशन प्रक्रिया में इसे सामान्य नहीं किया गया तो हमें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।”युवाओं का आक्रोश क्षेत्र के युवा नेताओं ने भी चेतावनी दी है
– अमीत नोटियाल ने कहां “हम लंबे समय से शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांग उठा रहे हैं, लेकिन अगर इस बार भी आवाज को अनसुना किया गया तो पुरोला के युवा सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे।”
जनप्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों की मांग क्षेत्र के बुद्धिजीवी और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि अब समय आ गया है जब डिलिमिटेशन प्रक्रिया में पुरोला को सामान्य घोषित किया जाए। उनका कहना है
कि इससे लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी वर्गों को समान अवसर मिलेगा और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में संतुलन स्थापित होगा।
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