अपनी शादी में नशामुक्ति और किन्नर सम्मान का अद्भुत उदाहरण बने जीनियस पब्लिक स्कूल के शिक्षक महावीर कंडियाल ।समाज को दिया प्रेम, समानता और संस्कार का गहरा संदेश
कंडियाल गांव पुरोला
जहां अधिकांश लोग अपनी शादी को केवल व्यक्तिगत खुशी और सामाजिक प्रदर्शन का अवसर मानते हैं, वहीं जीनियस पब्लिक स्कूल में कार्यरत शिक्षक महावीर कंडियाल ने अपनी शादी को एक प्रेरणादायक सामाजिक संदेश में बदल दिया। अपनी शादी के महज दो दिन बाद, उन्होंने एक ऐसा कदम उठाया जिसने न केवल किन्नर समुदाय का सम्मान बढ़ाया, बल्कि समाज को भी संवेदनशीलता और समता का वास्तविक अर्थ समझाया।
किन्नर समुदाय का विशेष सम्मान महावीर कंडियाल ने पारंपरिक रूढ़ियों को पीछे छोड़ते हुए किन्नर समुदाय के लोगों को अपने घर आमंत्रित किया। भारतीय परंपरा का पालन करते हुए उन्होंने न केवल फूल मालाओं से उनका स्वागत किया, बल्कि श्रद्धा भाव से उनके चरण भी धोए। इसके बाद अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर उन्होंने उनकी गरिमा का सम्मान बढ़ाया।
“जब श्रद्धा से चरण धोए जाते हैं, तब केवल पैर नहीं, बल्कि समाज का चरित्र भी निर्मल होता है।”इस आयोजन का हर दृश्य मानवता, करुणा और समानता का सजीव चित्रण कर रहा था। किन्नर समुदाय के लोगों ने भी महावीर कंडियाल को दिल से आशीर्वाद दिया, जिनके शब्दों में सच्ची भावना और आत्मीयता झलक रही थी।धर्मशास्त्रों में किन्नर समुदाय को “त्रितीय लिंग” कहा गया है और इनके आशीर्वाद को जीवन में समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। महावीर कंडियाल ने न केवल इस आस्था को अपनाया, बल्कि इसे अपने व्यवहार में भी उतारकर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
नशामुक्त शादी: एक साहसिक निर्णयमहावीर कंडियाल की शादी केवल सामाजिक समरसता का उदाहरण नहीं थी, बल्कि नशामुक्ति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का भी परिचायक बनी। उन्होंने अपने संपूर्ण विवाह समारोह में किसी भी प्रकार के नशे — शराब, तंबाकू, गुटखा आदि — को पूर्णतः निषिद्ध रखा।”नशे से नहीं, संस्कारों से सजी होती है सच्ची शादी।”जब आज अधिकांश शादियों में दिखावे और नशे का बोलबाला होता है, तब महावीर कंडियाल ने यह साहसिक निर्णय लेकर एक नई दिशा का संकेत दिया कि उत्सव भी पूरी गरिमा और शुद्धता के साथ मनाया जा सकता है।
युवा सामाजिक कार्यों में अग्रणी महावीर कंडियाल केवल एक शिक्षक नहीं, बल्कि एक युवा सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, जो हमेशा नशामुक्ति, शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक समरसता से जुड़े अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। उनका विश्वास है कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन भाषणों से नहीं, बल्कि छोटे-छोटे कर्मों से आता है। उनकी जीवनशैली इसी सोच की सच्ची मिसाल है।संस्कारों की मशाल जलती रहे, तभी समाज का अंधकार दूर होगा।
“एक गहरी सामाजिक सीख महावीर कंडियाल की इस पहल ने यह स्पष्ट कर दिया कि सच्ची मानवता का अर्थ केवल अपने लिए जीना नहीं, बल्कि हर वर्ग, हर व्यक्ति के लिए प्रेम और आदर भाव रखना है। जब हम समाज के सबसे उपेक्षित वर्गों को भी सम्मान और स्नेह देते हैं, तभी हम सच्चे अर्थों में सभ्य और संवेदनशील बनते हैं।आज जब समाज भेदभाव, नशे और असंवेदनशीलता की चुनौतियों से जूझ रहा है, महावीर कंडियाल जैसे व्यक्तित्व प्रेरणा देते हैं कि कैसे अपने छोटे-छोटे निर्णयों से भी बड़े बदलाव की राह प्रशस्त की जा सकती है।
—महत्वपूर्ण संदेश:> “आदर, प्रेम और संस्कार — यही सच्चे विवाह के सबसे अनमोल आभूषण हैं।
“—(रिपोर्टर: [अरविन्द जयाडा]) (स्थान: कंडियाल गांव/पुरोला उत्तरकाशी/उत्तराखंड